
घनश्याम लाला शहर के मशहूर दुकानदार थे. अपने पूर्वजों की पुस्तेनी दुकानदारी की जागीर संभाल के रखी थी, जाति के बनिया थे तो दुकानदारी की मिठी ज़ुबान के थे,अपनी उंगलियों से लाखों का हिसाब चुटकियों में करते थे. कितने भी वांणिज्य (Commerce) और प्रबंधन (Management) के डिग्री धारी उनके प्रतिस्पर्धा (Competition) में दुकान लगा गये पर उनके सामने टिक नहीं पाए, एैंसा एकाधिकार (Monopoly) था उनका बाजार में. शहर के ही नामी कॉलेज से अपने लड़को को भी व्यापार प्रबंधन (Business Management) में शिक्षा दिलवा रहे थे. अखबार पढ़ते पढ़ते थौड़ा बहुत ज्ञान उनको नयें व्यापार नीतियों की भी हो गई थी इसलिए बच्चों को एमबीए की शिक्षा दिलवा रहे थे जिससे कि उनका बच्चा आगे चलकर उनके इस पुस्तेनी काम को आगे बढ़ाये. लाला जी किसी किसी मामले में बहुत ज्यादा सचेत रहते थे. जैंसे कि पैंसो का हिसाब, गल्ले पर बच्चों को हाथ लगाने नहीं देते थे, अगर कहीं जाना भी हो गया तो पैंसो को चार पांच बार गिनकर और अपनी डायरी में लिखकर जाते थे. अपनी तिजोरी हमेशा अपने अढासे वाले गोल तकिए के बगल पर रखते थे. और दूसरी ओर हिसाबों की किताब जिसमे नकद उधार सब चड़ा रहता था. घनश्याम लाला की एक आदत थी लगभग दिन में चार पाँच बार तिजौरी में रखे नोट गिनते थे, जब तक खुद की उंगलियों के निशान नोटों पर ना लग जाए तब तक तो उनके दिल को तसल्ली नहीं होती थी जिस दिन कहीं बाहर चले गये तो मन दुकान पर ही लगा रहता था। उंगलियों में खुजली होने लगती थी और बार बार अपने बच्चे को फोन करते थे. और घनश्याम लाला सबसे बेकार फटे नोटों को रखना मानते थे और तो और कोई ग्राहक अगर चालाकी से फटे नोट को चला ले तो उसको धुतकारते थे और वापस भेज देते थे
धीरे धीरे बदलते बाजार के समीकरण नये नये तकनीकि उपकरंण जब से बाजार में आने लगे तब से घनश्याम लाला की परेशानी कम नहीं हो रही थी, बेटों की लाख जिद्द करने पर घनश्याम लाला ने एटीएम कार्ड बनाया पर खुद कभी उपयोग करने की कोशिश की, क्योंकि आये दिन अखबार में एटीएम जालसाजी के किस्से पढ़ते थे. पर बेटों कि जिद्द पर एटीएम कार्ड चलाना जान गये थे पर हिंदी भाषा में, जब भी एटीएम गये तो बच्चों को साथ लेकर गये, क्योंकि शक जालसाजी का दिमाग मे था और खुद पर पैंसे निकालने का कानफिडेंस कम था. सरकार को भी खूब अनाब सनाब बखते थे अब तो अपने आस पास के नेताओं से भी खुन्नस खाते थे. एक दिन शनिवार को लाला ने सारा कैश अपने डिस्ट्रीब्यूटर को दे दिए और अगले दिन बाजार बंद था. लाला जी ये भूल गये थे कि कल उनको कुछ कैश की जरूरत होगी क्योंकि कल उनके बेटे को कहीं जाना था, और लाला जी रास्ते में जब घर तरफ लौट रहे थे तो तब उनको ये बात याद आ गई, लाला जी के पास एक ही ओपशन्स था एटीएम. अब लाला यहाँ बुरे फंस गये थे करें तो करें क्या. बड़े साहस करके एटीएम पर गये और कम से कम दस मिनट की समया अवधि में पैंसे निकले और वो भी दो हजार के नोट के साथ बीस हजार निकाल लाए, लाला जी ने वहाँ पर एक रुपये नहीं गिने और घर की ओर निकल पढ़े. घर पहुंचते ही लाला जी ने सबसे पहले रूपये गिने जिसमें ना हो कि एक दो हजारा का फटा नोट निकल गया उपर से उस पर “सोनम गुप्ता बेवफा है” (Sonam Gupta Bewafa Hai) लिखा हुआ था वो भी बौल पैन से. और आजकल बैंक की शख्त हिदायत थी कि जिन नोटो पर लिखा होगा वो नहीं चलेगें. लाला जी गुस्से से लाल हो गये पर अब करे भी तो करें क्या. घनश्याम लाला ने वो नोट अलग रख दिया और फिर बाकी रूपये बेटे को देकर अपने हाथ मौह धोने चले गये.
अब सब रात का खाना खा रहे थे तो घनश्याम लाला चुपचाप थे और दिन तो खूब बातें करते थे पर आज एैंसा नजारा देखकर सब हैरान थे आखिर बाबू जी चुप क्यों है, जबकि घनश्याम लाला खाते समय भी ये सोच रहे थे कि ये नोट चले कैंसे, उपर से आज दुबारा खाना नहीं मांगा कम खा के ही अपने कमरे में चले गये, घर वाले सब आपस में एक दूसरे से कहने लगे बाबू जी को क्या हो गया, सब कमरे आए पूछा तो घनश्याम लाला ने कहा मैं ठीक कुछ नहीं हुआ, रात भर सौ नहीं पाए, हर दो तीन घंटे में उठकर बाथरूम जा रहे थे और वहाँ कुरते में से नोट निकालकर वो सोनम गुप्ता बेवफा है पढ़कर अपना गुस्सा पी जाते थे , एक साथ दो समस्याएं आ गई लाला पर एक तो फटा नोट उपर से बौल पैन से लिखा हुआ “सोनम गुप्ता बेवफा है”. अब लाला जी ये नोट चलाये तो चलाये किधर. सुबह उठते ही रोज की तरह सूर्य नमस्कार तो नहीं किया पर लक्ष्मी नमस्कार जरूर किया और प्रार्थना की कि हे लक्ष्मी माता ये नोट चल जाए जैंसे कैंसे. बाजार बंद होने के कारण आज लाला जी पेट्रोल पंप पर चले गये सुना था कि वो सब नोट लेते हैं पर लाला जी ने जैंसे अपने चैतक स्कूटर में तेल भरवाया और वो नोट वहाँ पर फिलिंग वाले को दिया तो नोट देखते ही उसके मूड भी पैट्रोल की तरह ज्वलनशील हो गया लाला को कहा अजी भाईसाब ये क्या आप “सोनम गुप्ता बेवफा वाला नोट दे रहे हो. कम से कम सौ रुपये तेल के लिए इतने बड़े नोट की बेवफ़ाई तो ना करो। अंधे थौड़े हैं लाईए सौ का नोट और अपनी बेवफा सोनम को अपने जेब में रखिए. लाला जी शर्मिंदा होकर वहां से निकल गये. पूरा दिनभर लाला जी का आज सोनम गुप्ता बेवफा है वाले नोट ने खराब करके रख दिया था. शाम को लाला जी ने सोचा क्यूँ ने पास वाले मंदिर में पूजा-अर्चन करने जाऊं और दो हजार में दो सौ रुपये वहाँ दान दूंगा और 18 सौ वापस ले लूंगा, पर पूजा अर्चना समाप्त होने के बाद लाला जी ने पुजारी को कहा कि ये लो दो हजार का नोट और इसमें से 200 रुपये दान के रख लो और 1800 वापस कर दो, पुजारी का दिमाग घूम गया जो बनिया लाला 10 रुपये मुश्किल से भेंट देता था आज वो 200 क्यूँ दे रहा है, पर जितना बड़ा नोट हो एक बार हर कोई उसको गौर से देखता है कहीं नकली तो नहीं है वही पंडित ने किया और नोट जैंसे ही खोला पुजारी ने भी रौद्र रूप दिखा दिया, और लाला को कहा अरे यजमान जी कुछ तो शर्म लिहाज करो, भगवान के मंदिर में आप सोनम गुप्ता बेवफा लिखकर नोट को दान कर रहे हो. यहाँ लोग भगवान से दिल लगी करते हैं और आप बेवफाई की माला जप रहे हो. ये लिजिए आपकी बेवफा और एैंसे पवित्र स्थानो को अपवित्र मत कीजिए. लाला जी की एैंसी बेईजती आज तक नहीं हुई, जितनी एक नोट के कारण एक दिन दो बार हुई अब खुद लाला जी सोच रहे थे कि क्या करूं इस नोट का ये तो दो हजार का नुकसान हो जाएगा। कल चाहे कुछ भी हो बैंक जाकर लड़ना पड़े पर ये नोट बदलवाना जरूरी है.
ये रात भी घनश्याम लाला की सोनम गुप्ता की बेवफाई में गुजरी, सुबह बैंक खुलने से पहले ही बैंक के गेट पर खड़े थे जैंसे बैंकर ने दरवाजा खोला लाला जी ग्राहक सेवा अधिकरी के पास चले गये और कहा कि देखिए साहब कल एटीएम से पैसे निकाले मैने और उनमे से एक नोट फटा हुआ निकला और उस पर सोनम गुप्ता बेवफा है भी लिखा हुआ है. बैंक अधिकारी ने कहा देखिए अगर नोट पर सोनम गुप्ता बेवफा है लिखा हुआ है तो हम क्यूँ उसके गम में इंटरेस्ट दिखाएँ, देखिए ये लिखा हुआ नोट नहीं चलता है आरबीई की सख्त दिशा निर्देश हैं, वैंसे भी नोट हमने नहीं एजेंसी एटीएम में रखती है। ये बदला नहीं जायेगा. अब लाला जी की टेनशन और बढ़ गई हालत उस गर्म दूध की तरह हो गई थी जो ना तो घूटा जा रहा था ना ही थूका जा रहा था. दुकानदारी में कम नोट पर ज्यादा ध्यान जाने लगा. यहाँ तक कि जो बाजार में नोट को जो कम कीमत पर बदलते हैं उन्होने ने भी मना कर दिया. दो हजार का नोट तो अब लाला जी का ओपनिंग बैलेंस की राशि की तरह हो चुका था जो हर दिन हिसाब में तो था पर ना क्रेडिट हो रहा था ना डेबिट, पर अपनी पुरानी आदत के चलते लाला पूरे दिन में और नोटो के साथ रखकर उसे जरूर गिनते थे और सोच सोच कर लाला जी कमजोर हो रहे थे खाना भी ढंग पर नहीं खा रहे थे. आखिरकार लाला जी ने कह ही दिया हाय सोनम तूने तो मुझे इस उम्र में बेवफा साबित कर दिया आखिर बेवफा तू नहीं मैं हो गया हूँ तेरे चक्कर में.
रात को आज भी लाला जी ने एक ही रोटी खाई उसके बाद समाचार देखने लग गये, जैंसे ही समाचार लगया तो न्यूज एंकर चिल्लाने लगा- आखिर क्यूँ हो गई सोनम गुप्ता बेवफा? क्यूँ हर नोट पर लिखा हुआ है सोनम गुप्ता बेवफा है? इसका रुपयों के साथ क्या संबंध है? और कौन है वो इंसान जिसने रुपये पर ये लिखा सोनम गुप्ता बेवफा है? क्या ये सोनम के प्यार में नोट की कुरबानी है?क्या अब ये नोट हमेशा के लिए बेवफा हो जायेगा या सोनम गुप्ता बेवफा हो जायेगी? इतनी खबर सुने ही लाला को जोर जोर से खांसी होने लगी, लाला जी इतना खास रहे थे कि पानी पीने के बाद भी खासी नहीं रुकी, और खासते खासते लाला जी को दिल का दौरा पढ़ गया, परिवार वाले लाला जी को हास्पिटल ले गये जहाँ डाक्टर ने हालत गंभीर बताई की, लाला जी ने दबी आवाज में डाक्टर से कहा कि मेरे बेटे को बुलाओ, बेटे को पास बिठाकर लाला जी ने कहा बेटा मुझे नहीं लगता कि मैं अब ज्यादा समय तक रह पाऊंगा, तुम ही मेरा कारोबार समेटना और ढंग से चलाना , मेरे कुरते की जेब में एक दो हजार का नोट है उसे खोलना मत, उसे भी मेरे साथ मेरी चिता में जला देना. बस यही लाला के आखिरी शब्द थे. और लाला जी चल दिए, लाला जी को घर लाया गया एक और जहाँ उनके जाने का मातम था वहीं दूसरी ओर बेटे ने कुर्ते में से दो हजार का नोट निकाला और पिताजी का आखिरी वचन दूर रखकर नोट खोल दिया, लड़का पढ़कर चकित रह गया और सोचने लगा आखिर सोनम गुप्ता बेवफा है का पिताजी से क्या कनैक्शन था? और पिताजी ने मुझे इसे जलाने के लिए क्यूँ कहा? यहाँ पिताजी तो चले गये पर बेटे को टेनशन दे गये विरासत में. और बेटे ने छोटा दिल करके उस नोट को पिता की चिता में जला डाला, और जहाँ घर के सब सदस्य रो रहे थे वहीं बेटा ये सोच रहा था कि सोनम गुप्ता की बेवफाई में पिताजी को क्यूं दिल का दौर पड़ गया, जो कुछ भी हकीकत हो पता करनी पड़ेगी. पर हकीकत ये है कि एक बनिया गुप्ता लड़की ने एक पचास पार अच्छे खासे बनिये की जिंदगी सच्च में बेवफा कर दी, क्योंकि बनिया सब तरह की गंदी बेवफाई सह सकता है मगर पैंसो की नहीं।
लेख: -हरदेव नेगी
Very nice
Bhaiya mja a gya😂😂