मेरे गाँव में पानी का धारा,
धारे का पानी ठंडा
कमरी डस्का के घस्यारी.
ले चली रे पानी का बंठा.
गुठ्यार में दुधारू भैंसी,
मुख उसका चांदू जैंसी,
गुस्यांण को उसने जो देखा,
अड़ाने लगी चांदू भैंसी,
मेरे…………….. बंठा,
किल्ली मे घासे कि गडुली,
हाथों छमड़ाने लगी धगुली,
भैंसी का दूध पिज्याके,
बैलों को दिया सूखी परूली.
मेरे……….. बंठा,
गुठ्यार में बिज्यां है हिल्लु,
पैली गुठ्यार साफ करलू,
दूध की पसेरी मुंड रखके,
अब मठु- मठु घौर जौंलू.
मेरे………….. बंठा,
सासू लैग्ये बठ्यांण,
हे ब्वारी चुल्ला मा चा थड़कांण,
द्वी चार्यों क्वोदला पकैकी,
फिर मिस्ये तू पुंगड़यों की धांण
मेरे……..बंठा
लीती पोती चुलखान्दो,
धारा ले गई झूठा भांडों,
ऐ भुलि जरा फुंडे सरीक.
द्वी चार भांडा मैं भी मजांदो.
मेरे…….बंठा
लेख:- हरदेव नेगी