Garhwali Rakshabandhan Blog:- डियर राखी को त्यौहार
डियर राखी को त्यौहार, त्वेमा समायूं च भै बैण्यों कु प्यार, राखी को त्यौहार जब भी औंदू, सु अपड़ा दगड़ा भै बैंण्यों की राजी खुशि को धागू गंठ्यैं कि ल्यौंदों, यु क्वे आम धागू नि चा, यु भैजी भुलों की सुख समृद्धि, सुरक्षा को धागू चा, यु वे लाड-प्यार-दुलार को त्यौहार चा जु भैजी-भुला कू अपड़ी दीदी-भुलि थैं खित हसैं जांणू अर् पट रुवै जांण दैंदन्, यु तौं कसमों कु त्यौहार चा ज्वा दीदी-भुली अपड़ा भैजी-भुला थैं माँ पिताजी की डांट फटकार खांण से बचै दैंदू, यु वै समौंण कु त्यौहार चा ज्वा मां-पिता दादा-दादी की ल्याईं चीज थैं सभी भै बणूं मा मिली बांटी खांण लांण कु बंधन चा, यु वै बेदाल्वों कु त्यौहार चा जु ब्यो होंणा बाद अपड़ी दीदी भुलि की खुद मिटौंणा खातिर बार-त्यौहार पर मैत बुलौंदूं,
यु दूर परदेशू मा रौंण वालू भैजी भुला की खुद मिटौंणो त्यौहार चा,
क्वी भैजी भुला चा दूर परदेश अर् क्वी भैजी भुला चा दूर बौडर, दीदी भुलि चिठ्ठयों का सारा बधैं जांदा राखी अपड़ा भैजी भुलों पर, चिठ्ठी मा भेज्या रंदन पिठैं अर् राखी, बल लिख्यू रैंदू म्यारा भै बंदौं अ तौंका दगड़यों थैं जुगराज राखी, एक राखी अपड़ा भैजी भुला की कलाई पर सजली, एक राखी देश की सुरक्षा का खातिर बंदूक पर भी बंधली. (Garhwali Rakshabandhan)
राखी को त्यौहार की खास बात यभि चा कि ये दिन पहाड़ का गौं ख्वोलू मा गौं का कुल पुरोहित अपड़ा-अपड़ा बिरती-बाड़ी मा “नामों धागू लीक तैं जजमान व जजमानी व छ्वोटा बाल गोपाला हाथू पर बांधदन, ये स्ये खास बात या चा कि ज्वो बैख ई राखी थैं दिवाली तक अपड़ा हाथ पर बांधी रखलू फिर सु छ्वोटि दिवाली का दिन अपड़ा हाथ पर बिटि निकाली तैं बल्दू ग्वोरू का पुछड़ा पर बांधदन, खास कर पुरणां मान्यताओं तैं मानण वाला लोग आज भी यी परंपरा थैं जीवित रौखणां छन्न।
डियर राखी को त्यौहार तुम हर दिशा बटि ल्यौंदा हौंस उलार, किलै कि तुम साल मा बौणी कि औंदा यखु बार, शहर हो या गाँव देश हो या परदेश सभि जगा मनखि बौणीक् एक धागा मा बंधै जांदा, यही हमरा देश का त्यौहारू खास बात चा, कि चाहे त्यौहार बणु हो छ्वोटु हम एक हैका दगणी अपड़ी खुशि बांटदा छन्न, अर् राखी जन्न त्यौहार भै-बैण्यों कु ही त्यौहार चा, ये दिन त् घौर मा खुशी ही खुशि रांदी, अर् ईं खुशि का खाति भै बैंणी आपस मा कति लणदन जैकु क्वी हिसाब नी, जैकु एक ही हिसाब चा “राखी”
नरेंद्र सिंह नेगी जी एक गीत चा कि :-
भै-बैंण्यो कु प्यार आइ रक्षा बंधन,
शुभ दिन शुभ बार आइ रक्षा बंधन
बस आखिर मा यही ब्वोदु कि “डियर रक्षा बंधन रखी सभी भैजी भूलोक अर् दीदी भुल्यों थैं सुख संपन्न”