एक कहनी, जब सुनाती थी नानी,
जाना है नानी के घर। ये जिद्द मन में ठानी,
वैंसे तो उम्र है उसकी पांच साल की।
पर बातें बनाती है वो बड़े कमाल की.
जैंसे छुटियों के दिन नजदीक आते।
पापा मम्मी उसे पराये हो जाते.
बेटी बोली- माँ मुझे एक कहानी सुना दो,
या तो मुझे नानी के घर पहुंचा दो.
माँ बोली – इन छुट्टियों में तुझे कहीं नहीं है जाना,
तुझे तो अपने स्कूल का पाठ है याद करना.
मासूम से चेहरे पर जब छायी निराशा,
अब तो पापा से ही थी उसकी आशा
सायं को जब पापा आफिस से आये।
उसके चेहरे पर नखरों के सितारे जगमगाये।
पापा बोले- कहां है छिपी है मेरी प्यारी सी महारानी।
जल्दी बाहर आ जाओ पापा से नहीं चलेगी ये शैतानी.
बेटी बोली- पापा पहले मुझसे एक वादा निभाओ।
कल सुबह ही मुझे नानी के घर छोड़ आओ.
पापा बोले – इन छुट्टियों में तुम नानी के घर जाओगे।
और पूरा महीना नाना नानी के संग बिताओगे.
नाना नानी तुम्हे खूब कहानी सुनायेंगे।
तुम भी वादा करो – नाना नानी को ज्यादा नही सताओगे.
अगली सुबह जब नाना नानी के घर वो चली,
तो उसकी जिद्द के आगे किसी की भी ना चली.
माँ की शिकायत उसने अपनी नानी से कर दी,
नानी ने भी उसकी गालों पर एक प्यारी सी झप्पी भर दी.
नानी की कहानी सुनकर जब रात आधा हो जाती,
सावल ओड़े नानी की गोदी में ही लिपट कर सो जाती.
टिमटिमाते तारे और चंदा रात भर उसके सपनो को सजाते,
सूरज की किरणें उसके सपनों को चूर चूर कर जाते.
आजकल मौसी ही उसको खूब दुलारती संवारती,
रंग बिरंगे कपड़ो से अलग-अलग रूप उसका निखारती.
मौसी के साथ रहकर उसको आई न माँ की याद जरा सी,
क्योंकि मौसी की ममता भी होती है एक माँ सी.
पूरा महीना नानी की कहानियों के संग कब बीत गया।
चलो अब अपने माँ के घर तुम्हारा स्कूल जाने का समय आ गया.
ये सुनकर मासूम से आखों में आंसुओं के बादल गरजने लगे,
अब तो उसे अपने नाना नानी भी पराये लगने लगे,
ये बच्चपन की जिद्द हर किसी की अधूरी रह जाती थी.
बस एक नानी की कहानी ही पूरी भरी रहती है।
लेख: – हरदेव नेगी
वाह बचपन याद आ गया❤️
Supperrbbb 👍 aisa hum sabke sath hua hai kabhi na kabhi bachpan mein jab Nani k Ghar se wapis lautna hota tha toh khub rote the
Superb
वाह बहुत खूब
Bhaiya bhut axe😍
Ye kahani pdh k muje sach m lgaa meri hi kahani hogi jese …❤️❤️❤️❤️❤️❤️dil ko chu gyi ache se…
Nana nanni khud b lagi 😓 yeen kahani pdhi te ….
#🙏🙏👌👌bhot khoob bheji