Corona Awareness Blog- खबरदार जो मेरे बच्चे की कसम खाई तो (Khabardaar Jo Mere Bacche Ki Kasam Khayi To)
बोडी – ये दिन दोफरा कख जा रहे बल तुम?
बोडा – बल पाल्या ख्वौला सुबेदार साब के यहाँ,
बोडी – क्यों बल?
बोडा – अरे ब्याली फोन पर बोल रहे थे कि गात गौला पिड़ा हो रही है बल, तो यही पूछने जा रहा हूँ कि कहीं कुरोना-फुरोना के लक्षण तो नहीं हैं बल।।
बोडी – उन जेठा जी के गला कोई पीड़ा नहीं है पर पिड़ा तुमरे गौला हो रही होगी घुटकने की,
बोडा – अरे यार तू तो हर बार सक्क करती है क्वे इंसान बिमार है तो वहाँ भी संत खबर पूछने की जगह तुझे ये लग रहा है कि घुटकने के लिए जा रहा हूँ।।
बोडी – मेरा सक्क और तुम्हारी टक्क किस पर है सब पता है मुझको, कहीं जाने की जरुरत नहीं है बल, घर में रहो और साग सग्वाड़ी की धांण करो, निथर गमज्या दूंगी ढंग से बल।
बोडा – अरे यार पता नहीं कैंसी औरत है तू तेरी तो मती खराब है, अब गाँव में जाना मुश्किल हो गया, बच्चे की कसम खा कर कह रहा हूँ कि घुटकने नहीं जा रहा हूँ।
……….
बोडी– खबरदार जो मेरे बच्चे की कसम खाई तो हर बार झूठा सौं “फुंड डोल्या है क्या मेरा सौंणू बल”
बोडा – तूने तो बकिबात का मुंडरा कर रखा है सच्च भी बोलूं तो तब भी सक्क करती है जरा सुबेदार साब की के धौरा बैठना था तो वो भी मुश्किल है, तू तो गांव में भला बुरा भी नहीं देखती।
बोडी – कन्न बकिबात कु मुंडारू हैं, सेरि दुनिया कुरोना महामारी (Corona Virus – COVID19) से परेशान चा अर तुम घौर बटि बाहर जा रहे हो बल, लौकडाउन चा संग्ति लग्यूं पर इस बुड्या को चेत भी नहीं है,
बोडा – अरे मुझे मत सिखा,पता है मुझे लौकडाउन चा लग्यूं तो मैं कौन सा बजार जा रहा हूँ, वैंसे भी यहा बल ग्रीन जोन है दिक्कत वाली बात नहीं है,
बोडी – अगर तुम अपनी धौंणीं (गला) डाउन करके आये और खुट्टे तुम्हारे ढग-मग-ढग-मग करने लगे तो सोच लेना फिर 14 दिन तक भितर ग्वाड़ दूंगी, ग्रीन जोन तो बाद में होगा पहले में तुम्हारी गिच्ची मौन ना करदूं, ये बुड्या ने तो सदानी यनि झुराई जिकुड़ी म्येरी।
बोडा – भितर ग्वाड़ना नहीं उसे कुछ और कहते हैं, अरे सौंणू बेटा जरा बता दे क्या कहते हैं उसे?
सौंणू – पिताजी उसे अंग्रेजी में बल क्वारनटीन कहते हैं (Quarantine)
बोडा – हां वही बल कंटर का टीन
बोडी – निरभगि झांजी बुड्या कंटर का कीन नि बोल्दा ( क्वारनटीन) बोल्दा व्हेथैं, दिमाग मा त कंटर ही चा बच्चपन बटि चण्यूं त भलि चीज कख बटि सीखड़।
………..
बोडा – हां हां मैं ना सिखौं, यांका बारा मा, अंग्रेजी मैंथे भी आंदी चा अभि यु नयु-नयु शब्द चा बजार मा अयूं त मैं क्या करूं,
सौंणू – पिताजी तुम्हे तो अंग्रेजी रात 8pm का बाद आती है,
बोडा– लड़का भी इसने अपनी तरह बना दिया है, तमीज है नहीं पिताजी से बात कैंसे करनी है,
बोडी – मेरी तरह नहीं होगा तो तुम जैंसे झांजी की तरह होगा जिसकी टक्क इस महामारी में दारू पर लगी है।
बोडा – अरे तू तो पागल कर देती है इंसान को, अरे सौंणू वो मेरी दराँती छतरी दे मैं ग्वोरू दगड़ी जा रहा हूँ, तेरी ब्वे तो खामखा लड़ै कन वाली बात करती है।
बोडी– ग्वोरू दगड़ी जाने की जरूरत नहीं तख तुम ताश खैलला नि अर बीड़ी सुलगौला, अगर तुमरा खुट्टा ये चौक से भैर खिसक्या त भौल बटि हिंटण लैक नी रौंण्यां, नहीं तो पुलिस को फोन कर दूंगी हां,
बोडा – इस बुढड़ी के संग दिन भर कनक्वै रांण, सदानी झुराया बल मेरा परांण।
बोडी – जब सभि लोग अपड़ा अपड़ा घौर मु रौला, तभी तो कोरोना महामारी हरोला।
सुंदर दिदा 👌😄👏👏👏👏🙏