
विक्की वही जो 10 में 3 बार और 12 में 2 बार फेल होने के बाद धो सन्या (बड़ी मुश्किल) से पास हुआ । माल्या गांव के सूबेदार साहब की दो बेटियों का इकलौता भाई विक्की ,दोनों बहिनें विक्की से बड़ी थी तो विक्की सबसे छोटा था छोटा होने के कारण विक्की बहुत ही शरारती और बड़ा होते होते हुयौर ( आवारा) भी हो गया था । अभी सूबेदार साहब फौज में ही थे । वे चाहते थे विक्की को किसी अच्छे कॉलेज(Prestigious institute)से बीटेक कराएंगे (आखिर आजकल पहाड़ों में बीटेक करवाना भी ट्रेंड में था या फिर ये कहें कुछ कुछ लोगों का फैशन भी बन चुका था) लेकिन दिनप्रति दिन विक्की की शरारतें व बिगड़ैल पन को देखकर प्रताप चाचाजी जो कि एक गुरुजी थर और विक्की के पापा के स्कूल के दोस्त भी ने सूबेदार साब से कहा कि भाई साहब जब तक आप फौज में हो किसी ल्येफ्टिंन कैप्टिन ( lieutenant, captain) से कहकर इस विक्की को भी भर्ती करवा दो वरना ये तो गांव के सारे नौनियालो को ले डूबेगा परसों मैने इसके साथ 2-4 और छोरो को भी सिगरेट सुलगाते देखा एक तो हमारे भाई साहब का ही लड़का था । इससे पहले कि कोई अनहोनी हो भाईसाहब उसे ठीक जगा पे पहुंचा दो ऐसा कहते हुए गुरुजी ने सूबेदार साब को राम- राम कहा और चल दिये,
सूबेदार साब भी घर आये और चिंतित से हो गए । क्या सपने देखे थे मैने इसके लिए और क्या हो गया??? इतने में विक्की की माँ खाना ले के आयी सूबेदार साब मानो कहीं खो से गये थे विक्की की माँ ने हाथ से ढसाक मारते हुए कहा- क्या सोचणा छा तुम??? कुछ न अपना निहुड़या (जिसका कुछ नहीं हो सकता) बारा मा छो सोचणु । छि तुम यति न सोचा हमारू क्या च हमुन त जु कन छो सु करली अब रोयेगा अपने दिनों मा विक्की की माँ बोली।। अरे आखिर औलाद है हमारी चिंता तो होगी न इसको मैं अपने साथ ले चलूँगा पर तुम त बुना छा बीटेक करलू बल वु अरे न न बीटेक सीटेक कुछ न यू भर्ती ही होलु फलाना साहब के साथ मएरी अच्छी जान पहचान है सब ह्वे जाएगा ऐसा कहते हुए खाना खाने लग गए खाना भी बजुरया ठंडा हो गया था। अगले सन्डे को विक्की पापा के साथ जैसलमेर की तरफ चल दिया विक्की के पापा की पोस्टिंग जैसलमेर ही थी ।
वहाँ विक्की को बहुत हार्ड काम करना पड़ता था ऊपर से पापा के साथ रहता था तो सिगरेट शराब वगैरह भी नहीं पी जाती थी जब माँ का फोन आता था तो विक्की अब हुंगरा भर भर के (सिसकियां) ले कर रोता था।। फिर एक दिन लैंसडौन में भर्ती थी विक्की के पापा के पहचान वाले फलाना साब भी आये थे तो विक्की को बजी भेज दिया सेटिंग वेटिंग तगड़ी होने के कारण विक्की पहले की एटेम्पट में भर्ती हो गया वरना आजकल तो भर्ती भी कहाँ हो रहे लड़के।। अब भर्ती हो कर विक्की पहली छुट्टी आया तो सूबेदार साब भी घर आये थे उनके चेहरे पे भी खूब चमक थी माँ भी खुश थी हालांकि माँ थोड़ा कमजोर हो गयी थी चेहरे पे झुर्रियां थी अब घर में काम करने वाली महिला ऐसे ही तो होगी हालांकि सूबेदार साब ने देहरादून के रांझा वाला में क्वाणी कथ्या (unknown data) वीगा जमीन ले रखी थी और अप्रैल से मकान का काम भी लगा दिया था अब विक्की की माँ विक्की के लिए सरल स्वभाव सम्पन्न मिजाज संस्कारी ब्वारी की तलाश में थी और सूबेदार जी का कहना था कि बहु साइंस ( more precisely b.sc m.sc)वाली खैर विक्की का तो आपको पता ही होगा बारहवीं आर्ट्स साइड से धो सन्या पे पास किया।।अब आजकल विक्की की माँ जगह जगह से कुंडलियां मंगा रही हैं दो तीन तो विक्की की बड़ी दीदी के ससुराल से भी मंगाई पर सब रिजेक्ट हो गयी एक लड़की विक्की की छोटी दीदी के ससुराल की थी बहुत ही ग्रेट लड़की थी बल वो इतिहास से M.A. कर रही थी पर विक्की के पापा को जच नहीं रही बात हालांकि लड़की विक्की की दीदी और विक्की की माँ को बहुत पसंद है।। अब आगे देखते हैं होता है क्या.
क्या विक्की के पापा कोई लेब्रोटरी खोल रहे जो उन्हें साइंस वाली बहु चाहिए? या उन्हें साइंटिस्ट बहु की जरूरत है या फिर सबकी तरह साइंस वाली नौनी चाहिए पर हमें जॉब की कोई जरूरत नहीं घर सम्भालना है वाला सीन है। बस दुनिया को दिखाने के लिए इनकी बहु यति पढ़ी च साइंस से.
आशय
अक्सर ज्यादातर लोंगो को आज भी यही लगता है कि विज्ञान (Science) पढ़ने वाले अधिक होनहार होते हैं, और वो मेहनती होतें है, ठीक इससे विपरीत कला (Art), वाणिज्य (Commerce) वालों को कम समझते हैं, जबकि सबकी शिक्षा का स्तर समान है, सभी उपाधियां (Degree) समान होती हैं और सबकी योग्यता बराबर होती है चाहे वो हो स्नातक (Graduation), परस्नातक (Post Graduation), और उच्च शिक्षा (Higher Education) हो. हमें कभी दूसरे विषयों के मामले में अपनी सकारात्मक सोच रखनी चाहिए जितना कि हम विज्ञान विषयों के लिए रखते हैं
लेख – नीलम रावत
Gajab ji…. Maan gaye baat…
Ji Apka Dhanyawaad
Bhut shi bhaiya ji
Thanks Pooja
Bahut acha message diya apne is vyang se
Bahut Bahut Dhanyawaad apka
Ha bhaiya ye to bilkul shi bat h
Thanks Priya bhuli, Ye reality hai